ताजा समाचार

Dr. Manmohan Singh: पाकिस्तान के गाह गांव से जुड़ी उनकी अमर स्मृतियां

पूर्व प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh के निधन से भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले के गाह गांव में भी शोक की लहर है। गाह गांव के लोग उन्हें अपने परिवार के सदस्य की तरह मानते थे और उनके निधन से वे खुद को अनाथ महसूस कर रहे हैं। इस गांव के लोग डॉ. मनमोहन सिंह को ‘गांव का बेटा’ कहते थे और उनके निधन पर शोक सभा आयोजित कर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया।

गाह गांव और डॉ. मनमोहन सिंह का गहरा संबंध

गाह गांव में जन्मे डॉ. मनमोहन सिंह का शुरुआती जीवन यहीं बीता। उनके पिता गुरमुख सिंह एक वस्त्र व्यापारी थे और मां अमृत कौर गृहिणी थीं। उनका बचपन इसी गांव में बीता, जहां उनके दोस्तों ने उन्हें प्यार से ‘मोहना’ कहकर पुकारा। गाह गांव इस्लामाबाद से करीब 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। जब डॉ. सिंह का जन्म हुआ, तब यह गांव झेलम जिले का हिस्सा था, लेकिन 1986 में इसे चकवाल जिले में शामिल कर दिया गया।

गांव के सबसे प्रतिष्ठित स्कूल से मनमोहन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। स्कूल के रिकॉर्ड में आज भी उनका प्रवेश क्रमांक 187 दर्ज है। उनकी जन्मतिथि 4 फरवरी, 1932 और प्रवेश तिथि 17 अप्रैल, 1937 लिखी हुई है। उनके परिवार की जाति ‘कोहली’ के रूप में दर्ज है।

Dr. Manmohan Singh: पाकिस्तान के गाह गांव से जुड़ी उनकी अमर स्मृतियां

गाह गांव की यादें और उनका प्रभाव

गाह गांव में डॉ. मनमोहन सिंह की यादें आज भी ताजा हैं। गांव के स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि डॉ. सिंह ने अपने जीवनकाल में गाह गांव का दौरा नहीं किया, लेकिन उनकी यादें यहां के लोगों के दिलों में बसी हुई हैं। उनकी मृत्यु पर गांव में शोक सभा आयोजित की गई, जिसमें गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने भाग लिया।

गांव के एक निवासी अल्ताफ हुसैन, जो उसी स्कूल में शिक्षक हैं जहां से मनमोहन सिंह ने पढ़ाई की थी, ने कहा, “हमें ऐसा लग रहा है जैसे हमारे परिवार का कोई सदस्य हमें छोड़कर चला गया है।” गाह गांव के बुजुर्ग आज भी गर्व से बताते हैं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हमारे गांव के निवासी थे।

डॉ. मनमोहन सिंह का शिक्षा और व्यक्तित्व

डॉ. मनमोहन सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गाह गांव के स्कूल में हुई। उस समय इस स्कूल को गांव का सबसे प्रतिष्ठित स्कूल माना जाता था। उनकी शिक्षा ने उनके व्यक्तित्व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके शिक्षकों और सहपाठियों ने उन्हें हमेशा एक ईमानदार, मेधावी और शांत स्वभाव के छात्र के रूप में याद किया।

डॉ. सिंह ने अपनी उच्च शिक्षा भारत में प्राप्त की और बाद में ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। उनकी शिक्षा और ज्ञान ने उन्हें एक अद्वितीय अर्थशास्त्री और प्रशासक के रूप में स्थापित किया।

गाह गांव के लोग डॉ. सिंह को कैसे याद करते हैं?

गाह गांव के स्कूल के एक शिक्षक ने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह हमारे गांव की शान थे। जब वे 2004 में प्रधानमंत्री बने, तो यह पूरे गांव के लिए गर्व का क्षण था। उनके कई सहपाठी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी उनके परिवारों के साथ जुड़ी हुई हैं।”

गांव के कई परिवार अब भी डॉ. सिंह के बचपन की कहानियां सुनाते हैं। उनके सहपाठियों के परिवार यह कहते हैं कि उन्होंने हमेशा अपनी जड़ों को महत्व दिया और गाह गांव के लोगों को अपने दिल में बसाया।

डॉ. मनमोहन सिंह का वैश्विक प्रभाव और गाह गांव का गर्व

डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में भारत को आर्थिक स्थिरता और विकास की दिशा में आगे बढ़ाया। उनके योगदान को सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में सराहा गया। गाह गांव के लोगों को इस बात का गर्व है कि उनके गांव का बेटा इतना बड़ा नेता बना और दुनिया में भारत का नाम रोशन किया।

गाह गांव के लोगों की अपील

गाह गांव के लोग चाहते हैं कि डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्य एक बार उनके गांव का दौरा करें और उनके बचपन की स्मृतियों को ताजा करें। गांव के लोगों का मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और भावनात्मक संबंध और मजबूत होंगे।

डॉ. मनमोहन सिंह का गाह गांव से गहरा नाता था, जिसने उनके प्रारंभिक जीवन को आकार दिया। उनके निधन से गाह गांव में जो शोक की लहर है, वह इस बात का प्रमाण है कि वे सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के गाह गांव के लिए भी प्रेरणा और गर्व का स्रोत थे। उनके जीवन और कार्यों की यादें हमेशा गाह गांव और उसके निवासियों के दिलों में जीवित रहेंगी।

Back to top button